नई दिल्ली। जातिगत जनगणना को लेकर शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई। इस दौरान कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल समेत कार्यसमिति के अन्य सदस्य मौजूद रहे।
कार्यसमिति द्वारा प्रस्ताव भी पारित किया गया। प्रस्ताव में कहा गया कि लगातार 11 वर्षों तक विरोध और इनकार के बाद मोदी सरकार ने कांग्रेस की जाति जनगणना कराने की मांग स्वीकार कर ली है। अब तक सरकार ने यह नहीं बताया है कि वह इस विषय में क्या कदम उठाएगी और न ही इसके लिए कोई वित्तीय प्रावधान किया गया है।
प्रस्ताव में यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 16 अप्रैल 2023 को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जाति जनगणना की मांग की थी। इसके साथ ही उन्होंने अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा हटाने की भी मांग की थी। राहुल गांधी देशव्यापी जाति जनगणना की मांग करने वाले सबसे दृढ़ और निरंतर स्वर रहे हैं।
कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्ताव में संविधान के अनुच्छेद 15(5) के तात्कालिक क्रियान्वयन की भी मांग की गई है, जो निजी शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी, दलितों और आदिवासियों को आरक्षण देने की अनुमति देता है।प्रस्ताव में कहा गया कि कांग्रेस का दृढ़ विश्वास है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ओबीसी, ईबीसी, दलित और आदिवासी समुदायों को सार्वजनिक व निजी दोनों ही संस्थानों में समान रूप से उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इसके साथ ही कांग्रेस कार्यसमिति ने तेलंगाना की कांग्रेस सरकार द्वारा कराई गई जाति जनगणना के मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर अपनाने की भी मांग की।
प्रस्ताव में मांग की गई है कि जाति जनगणना की प्रक्रिया किसी भी हालत में और विलंबित नहीं होनी चाहिए। सभी राजनीतिक दलों को विश्वास में लिया जाना चाहिए। संसद में इस विषय पर तत्काल बहस कराई जानी चाहिए। सरकार को तुरंत आवश्यक धन आवंटित करना चाहिए और जनगणना की प्रत्येक अवस्था- प्रश्नावली व पद्धति की तैयारी से लेकर आंकड़ों के संकलन, वर्गीकरण और अंततः उनके प्रकाशन तक के लिए स्पष्ट समयसीमा घोषित करनी चाहिए। यह पूरी प्रक्रिया हर चरण में पारदर्शी और सहभागी होनी चाहिए। एकत्र किए गए आंकड़े सार्वजनिक नीति की व्यापक समीक्षा का आधार बनने चाहिए। विशेषकर आरक्षण, कल्याण योजनाओं, शैक्षिक पहुंच और रोजगार के अवसरों के क्षेत्र में।
बाद में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, सांसद सप्तगिरी उलाका और कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने पत्रकारों को बैठक के बारे में जानकारी दी।
भूपेश बघेल ने कहा कि बिना जानकारी के नीति नहीं बनती। हम बजट और योजनाएं तब तक सही दिशा में नहीं चला सकते, जब तक यह न जान लें कि किस वर्ग की हालत कैसी है। जाति जनगणना से ही यह तस्वीर साफ होगी।
सचिन पायलट ने कहा कि जाति जनगणना केवल आंकड़े इकट्ठा करने की कवायद नहीं है, यह सामाजिक न्याय की रीढ़ है। कांग्रेस की वर्षों की मांग और राहुल गांधी जी की आवाज ने सरकार को झुकने पर मजबूर किया है।
चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि देश की बड़ी आबादी को उसका हक और भागीदारी तभी मिलेगी, जब हमें सही आंकड़े मिलेंगे। पिछड़ी जातियों, दलितों और आदिवासियों को उनका अधिकार दिलाने के लिए जाति जनगणना जरूरी है।
सप्तगिरी उलाका ने कहा कि पूर्वोत्तर और आदिवासी समाज की स्थिति तभी सुधरेगी जब हमें उनके बारे में सटीक जानकारी हो। आज कांग्रेस सिर्फ आंकड़ों की नहीं, समावेशी नीति की मांग कर रही है। जाति जनगणना इसका आधार बनेगी।
वहीं जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ने पहले कांग्रेस की मांग की आलोचना की और अब अचानक से जातिगत जनगणना करवाने का फैसला लिया गया। राहुल गांधी जी ने कहा है कि अगर आप ईमानदारी से जातिगत जनगणना करवाना चाहते हैं तो तेलंगाना के मॉडल को अपनाइए।