एलजी सब कुछ करेंगे तो चुनी हुई सरकार क्या करेगी? हम मिलकर काम करना चाहते हैं: अरविंद केजरीवाल

आसिफ खान
नई दिल्ली। दिल्ली की चुनी हुई सरकार के कामों में लगातार दखल दे रहे एलजी से शुक्रवार को सीएम अरविंद केजरीवाल ने मुलाकात की। उसके बाद प्रेस वार्ता कर कहा कि एलजी सब कुछ करेंगे तो चुनी हुई सरकार क्या करेगी? हम मिलकर काम करना चाहते हैं। संविधान पीठ के निर्णय को एलजी ने सुप्रीम कोर्ट की राय बताया और कहा कि मैं इन्हें नहीं मानता। मैने पूछा कि क्या पीएम मोदी के काम से नाखुश होने पर राष्ट्रपति उनको आदेश दे सकती है। इस पर एलजी का कहना है कि वो अलग है। दिल्ली के मामले में मैं प्रशासक हूं। वहीं, संविधान पीठ का स्पष्ट आदेश है कि एलजी कोई भी निर्णय स्वतंत्र रूप से नहीं ले सकते। इसका मतलब है कि जैस्मीन शाह का दफ्तर सील करना, 10 एल्डरमैन का मनोनयन, पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति, 164 करोड़ रुपए की रिकवरी नोटिस, टीचर्स को फिनलैंड जाने से रोकना, योगा क्लास बंद करना अवैध था। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार दिल्ली में पुलिस, लैंड और पब्लिक ऑर्डर पर सारे निर्णय लेने का अधिकार एलजी के पास है। इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी व सड़क समेत सारे ट्रांसफर सब्जेक्ट दिल्ली की चुनी हुई सरकार के दायरे में आते हैं। एलजी साहब से निवेदन है कि आप अपने साथ एक अच्छा संवैधानिक सलाहकार रख लें, जो आपको सलाह दे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश सलाह नहीं होते हैं, बल्कि बाध्य होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अगर कहा है कि एलजी को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की शक्ति नहीं है, तो नहीं है। मेरा निवेदन है कि आप सुप्रीम कोर्ट के आदेशों, संविधान और जनतंत्र का सम्मान करें।
दिल्ली की चुनी हुई सरकार के कामकाज में एलजी द्वारा लगातार हस्तक्षेप किया जा रहा है, जिसकी वजह से दिल्ली में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इस विवाद को सुलझाने के उद्देश्य से आज सीएम अरविंद केजरीवाल ने एलजी से जाकर मुलाकात की और संविधान व सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों समेत अन्य नियमों पर उनसे विस्तार से चर्चा की। इसके बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस वार्ता कर बैठक में एलजी के साथ हुई वार्तालाप की जानकारी दी। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के मामलों में एलजी साहब का हस्तक्षेप दिन पर दिन बहुत ज्यादा बढ़ता जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस हस्ताक्षेप से दिल्ली की चुनी हुई सरकार के कामों में बाधा पहुंचाई जा रही है, जिसकी वजह से दिल्ली के लोगों की जो जरूरते हैं, जो सपने हैं, वो पूरे नहीं हो पा रहे हैं। उनके काम रुकते जा रहे हैं। इन्हीं मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आज मैं एलजी साहब से मिला था। इस मुलाकात में मेरी मंशा यही थी कि अगर हमारे कानून और संविधान को समझने में कुछ गलतफहमियां हैं या आपसी मतभेद हैं, तो उसका समाधान किया जाए। मैं एलजी से चर्चा करने के लिए कई सारी किताबें, देश का संविधान, मोटर विहीकल एक्स, जीएनसीटीडी एक्ट, स्कूल एजुकेशन एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के सारे आदेश (जजमेंट) लेकर गया था और हमारी काफी लंबी चर्चा भी हुई।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में तीन विषय हैं, जिसमें जमीन, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था (पब्लिक ऑर्डर) शामिल है। संविधान में लिखा है कि इन तीनों विषयों पर सारे निर्णय लेने का अधिकार एलजी के पास है। इन तीनों विषयों को हम रिजर्व सब्जेक्ट कहते हैं। इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और सड़क समेत बाकी सारे विषय दिल्ली की चुनी हुई सरकार के दायरे में आते हैं। इन्हें ट्रांसफर सब्जेक्ट्स कहा जाता है, जो चुनी हुई सरकार को ट्रांस्फर किए गए हैं। यानी एलजी के पास रिजर्व सब्जेक्ट्स हैं और चुनी हुई सरकार के पास ट्रांस्फर सबजेक्ट्स हैं। उन्होंने कहा कि 4 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार को लेकर एक आदेश पारित किया था। इस फैसले में दो जगह साफ शब्दों में एलजी के लिए आदेश लिखा गया है। एक स्थान पर लिखा है कि “लेफ्टिनेंट गवर्नर को स्वतंत्र रूप से कोई भी निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। यह बात संविधान पीठ के निर्णय में लिखा हुआ है। दूसरी अहम बात यह लिखी हुई है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास निर्णय लेने के लिए कोई स्वतंत्र प्राधिकरण नहीं है। केवल उन मामलों को छोड़कर जहां वह किसी भी कानून के तहत न्यायिक या अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण के रूप में अपने विवेक का प्रयोग करते हैं या राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 239 के तहत उन मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार सौंपा गया है, जो जीएनसीटीडी की सरकार की क्षमता के बाहर है। ऐसे कुछ मुद्दे जहां पर एलजी साहब एक न्यायाधीश की तरह काम करते हैं, उसको छोड़कर किसी भी मुद्दे पर उनके पास स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं है।
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