ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति से हमारे जीवन का प्रत्येक कर्म सार्थक बन जाता:निरंकारी सत्गुरु

नई दिल्ली। ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति से हमारे जीवन का प्रत्येक कर्म सार्थक बन जाता है क्योंकि वह परोपकार से युक्त होता है। उक्त उद्गार निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं एवं भक्तो को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये।  दिल्ली के पश्चिम विहार में आयोजित एक दिव्य सत्संग कार्यक्रम में सत्गुरु माता जी ने जीवन की सार्थकता का जिक्र करते हुए फरमाया कि जब हम परमात्मा को सर्वस्व मानकर इसके सहारे अपना जीवनयापन करते है तब ही सही मायनों में हमारा जीवन वास्तविक जीवन बन जाता है। परमात्मा से इकमिक होकर हम अपने जीवन में आनंद की अवस्था को प्राप्त कर लेते है। ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति से हमारे जीवन का प्रत्येक कर्म सार्थक बन जाता है क्योंकि वह परोपकार से युक्त होता है।
इस दिव्य संत समागम में स्थानीय गणमान्य और प्रशासनिक अधिकारीयों ने भी शिरकत करी तथा सत्गुरु माता जी का पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। विवेक विहार की स्थानीय संयोजक आदरणीय बहन आशा गुजराल और पश्चिम विहार के स्थानीय संयोजक आदरणीय सुरेंदर खुराना ने समागम में आयी हुई समस्त साध संगत और वहां उपस्थित गणमान्य अतिथियों का हृदय से आभार प्रकट किया।
निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज अपनी जन कल्याण प्रचार यात्राओं के माध्यम से समूची मानव जाति को प्रेम, एकत्व, विश्वबन्धुत्व की भावना से युक्त जीवन जीने की प्रेरणा दे रहे हैं, जिसकी वर्तमान समय में नितांत आवश्यकता भी है।
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