केंद्रीय सैनिक बलों के समान दिल्ली पुलिस के जवानों को भी मिले सुविधाएं: रावत

-पांच जनवरी को पुलिस मुख्यालय और गृह मंत्रालय में ज्ञापन सौंपेंगे रिटायर्ड पुलिस एसोसिएशन

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस अराजपत्रित अधिकारी एसोसिएशन के 22 वे स्थापना दिवस पर सीआरपीएफ के रिटायर्ड अपर महानिदेशक हरिराम सिंह ने बुधवार को कहा कि दिल्ली पुलिस की जवानों को भी वही सुविधा मिलनी चाहिए जो केंद्रीय सैनिक बलों के अन्य जवानों को मिलता है! दिल्ली पुलिस के जवान देश के नंबर वन जवान हैं और वह सुविधाओं के मोहताज नहीं रहे इसका ख्याल केंद्रीय गृह मंत्रालय को अवश्य करना चाहिए!
 इस मौके पर दिल्ली पुलिस अराजपत्रित रिटायर्ड अधिकारी एसोसिएशन के अध्यक्ष छिददा सिंह रावत और संयोजक सुरेंद्र सिंह यादव ने कहा कि 5 जनवरी, शुक्रवार को दिल्ली पुलिस मुख्यालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक ज्ञापन दिया जाएगा जिसमें पुलिस सुधार कानून लागू करने, नौकरी के दौरान जान गवाने वाले पुलिस वालों को शहीद का दर्जा देने, अवकाश प्राप्त के साथ सेवा में रहने वाले पुलिस वालों का संगठन बनाने और चंडीगढ़ पुलिस की तरह दिल्ली पुलिस के कर्मचारियों का वेतनमान लागू करने की मांग शामिल है! वक्ताओ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से कहा है कि उन्हें पुलिस बल अधिनियम 1966 से वंचित किया जा रहा है।1966 से यह अधिनियम पुलिस बल (अधिकारों का निर्बन्धन) सम्पूर्ण भारत भर में लागू है। परन्तु संघ राज्य क्षेत्रों के लिए केन्द्रीय सरकार इसे पूरी तरह से लागू नहीं कर रही है। एसोसिएशन के अध्यक्ष छिद्दा सिंह रावत के मुताबिक पुलिस का मूल कर्तव्य कानून व्यवस्था व लोक व्यवस्था को स्थापित रखना तथा अपराध नियंत्रण व निवारण तथा जनता से प्राप्त शिकायतों का निस्तारण करना है। इसके साथ ही समाज के समस्त वर्गों में सद्भाव कायम रखने हेतु आवश्यक प्रबंध करना, महत्वपूर्ण व्यक्तियों व संस्थानों की सुरक्षा करना तथा समस्त व्यक्तियों के जान व माल की सुरक्षा करना है।
रावत ने कहा कि इन कर्तब्यों  के साथ ही पुलिस बलों को मिलनेवाली सुविधाओं से उन्हें वंचित कर उनसे मूल कार्य कराना भी न्यायोचित नहीं है। दिल्ली में सालों से इस प्रकार की मांग उठाई जाती रही है कि पुलिस कर्मियों को जो सुविधाएं मिलनी चहिए उससे उन्हे वंचित किया जा रहा है। सड़क पर यातायात पुलिस कमिर्यों को धूल और प्रदूषण में रहने के कारण कई प्रकार की बीमारियां सामने आई है। महिला पुलिस कर्मियों को जो सुविधा मिलनी चाहिए, उसके लिए भी कोई बंदोवस्त नहीं किया जा रहा है। काम के दबाब और छुट्टियां नहीं मिलने से आत्म हत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही है। दूसरे कई राज्यों के वनस्पित यहां के पुलिस का वेतन कम है। सालों से इन मांगो पर एसोसिएशन ने केंद्र सरकार के साथ पुलिस आयुक्त से भी आवेदन कर चुकी है लेकिन इस पर कोई सकरात्मक कार्रवाई नहीं होने से पुलिसवालों में मायूसी है।
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