प्रशासन के उदासीन रवैये से कूड़ा घर में तब्दील हुआ बारात घर

-गांव वालों ने चलाया अभियान

नई दिल्ली। दक्षिण दिल्ली के असोला फतेहपुर गांव में एक बारात घर को स्थानीय प्रशासन के उदासीन रवैये के कारण कूड़ा घर में तब्दील करने के खिलाफ गांव वालों ने अभियान शुरू किया है। विकास से कोसों दूर असोला के गांव में पिछले दो सालों से इस बाबत सामाजिक कार्यकर्ता ऋषिपाल महाशय ने दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) को एक पत्र लिखकर प्रधानमंत्री की योजनाओं को रोकने के संबंध में डीडीए के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के संबंध में पत्र लिखा है। उन्होंने उपराज्यपाल के साथ सांसद रमेश बिधूड़ी, दिल्ली विकास प्राधिकरण और जिलाधिकारी दक्षिणी को लिखा कि छतरपुर विधानसभा में दक्षिणी दिल्ली के असोला गांव में दो वर्ष पहले शहरीकरण हो गया था वह डीडीए के अंदर आ गया था। इस गांव में एक भी बारातघर नहीं है जो बारात घर बना था वह कूड़ा घर के रुप में तब्दील हो चुका है।

उसकी दीवारें टूट चुकी हैं, नतीजतन लोगों को शादी विवाह के लिए गली मोहल्ले के एक छोटे से भाग का सहारा लेना पड़ रहा है। इस तरह बारात घर को कूड़ा घर में तब्दील करने और डीडीए का शहरीकरण के बावजूद आंखें मूंद लेने के बाद लोगों का गुस्सा परवान चढ़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि इस सामुदायिक भवन का उद्घाटन तब के विकास आयुक्त डॉक्टर जेसी रामचंद्र के द्वारा 20 सितम्बर 1957 को किया गया था। मगर इसकी आधी जमीन पर गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने कब्जा कर लिया। उन्होंने बताया कि इसके बाद एसडीएम साकेत साउथ ने (एलएम) कमिश्नर को तीन तीन बार पत्र लिखा। इसके बाद सांसद ने वाइस चांसलर मनीष गुप्ता के यहां मीटिंग की, मीटिंग में मनीष गुप्ता ने विकास सिंह को आदेश दिया कि 10 दिन के अंदर खसरा नंबर 43 को अपने कब्जे में लेकर उचित कार्रवाई करें लेकिन दो महीने से भी ज्यादा समय बीत गया और कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी महीने के पहले सप्ताह में सांसद ने मौजूदा डीडीए के उपाध्यक्ष के साथ एक बैठक कर बारात घर के मामले को गंभीरता से लेने तुरंत इसके पुनरुद्धार का आदेश दिया लेकिन एक सप्ताह बीतने के बावजूद अभी तक इस दिशा में डीडीए और स्थानीय प्रशासन की तरफ से कोई भी पहल नहीं की गई है।

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