मोदी सरकार का अंतरिम बजट रंग-बिरंगे शब्दों का मायाजाल: खरगे

-बजट में गरीब और मध्यम वर्ग की तकलीफों को कम करने के लिए कुछ नहीं

 

नई दिल्ली। कांग्रेस ने मोदी सरकार के अंतरिम बजट को रंग-बिरंगे शब्दों का मायाजाल बताया है। कांग्रेस ने आंकड़ों के साथ मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि बजट में गरीब और मध्यम वर्ग की तकलीफों को कम करने के लिए कुछ नहीं है। मोदी सरकार के इस आखिरी बजट में जनता को खोखले वादों के अलावा कुछ नहीं मिला।

बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि बजट में गरीब और मध्यम वर्ग की तकलीफों को कम करने के लिए कुछ नहीं है। हर साल की तरह मोदी सरकार का अंतरिम बजट केवल रंग-बिरंगे शब्दों का मायाजाल था।

खरगे ने कहा कि बजट में पिछले साल का ब्यौरा और आने वाले साल के लिए विजन दोनों ही गायब थे। वित्त मंत्री को बताना चाहिए कि पिछले 10 सालों में सरकार ने जितने वादे किए गए, उनमें से कितने पूरे हुए और कितने बाकी हैं। बजट में उन वादों का कोई जिक्र नहीं था।

खरगे ने कहा कि सालाना दो करोड़ नौकरियां, 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना, सभी को पक्का घर, 100 स्मार्ट सिटी के वादें आज तक पूरे नहीं हुए। 2014 में जो कृषि विकास दर 4.6 प्रतिशत था, वो इस साल 1.8 प्रतिशत हो गई। यूपीए के दौरान खेती चार प्रतिशत औसत से बढ़ती थी, वो आधा हो गई। 31 किसान हर रोज आत्महत्या करने पर मजबूर हैं। 2014 में शिक्षा का बजट जो कुल बजट का 4.55 प्रतिशत था, वो गिरकर 3.2 प्रतिशत हो गया। एससी, एसटी, ओबीसी एवं अल्पसंख्यक कल्याण का कुल बजट की तुलना में शेयर लगातार गिर रहा है। रक्षा बजट और स्वास्थ्य बजट में लगातार गिरावट जारी है। पूरे बजट में नौकरी शब्द केवल एक बार इस्तेमाल किया गया है। आज बेरोजगारी 45 साल में सबसे अधिक है। आसमान छूती महंगाई को लेकर भी कोई बताने वाला नहीं है।

वहीं कांग्रेस मुख्यालय में कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम और गौरव गोगोई ने कहा कि वित्त मंत्री ने बजट में नहीं बताया कि सरकार बेरोजगारी की समस्या का समाधान कैसे करेगी।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि 2021 की तुलना में 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध में चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है। महिलाओं के रोजगार के संबंध में डाटा दिखाता है कि पुरुष कैजुअल कर्मचारी महिला श्रमिकों की तुलना में 48 प्रतिशत अधिक कमाते हैं और पुरुष नियमित कर्मचारी महिलाओं की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक कमाते हैं। आज महिलाओं को जो हक मिलना चाहिए, वो इस सरकार में नहीं मिल रहा है।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के वादे इस सरकार ने किए थे, लेकिन वास्तविकता ये है कि लगभग हर वर्ष 10 से 11 हजार किसान आत्महत्या के लिए मजबूर होते हैं, इनका उल्लेख इस बजट में नहीं था। मोदी जी के तीन काले कानूनों के विरोध में किसानों ने साल भर आंदोलन के बाद जो मांगे रखी, उनको भी बजट में नजरअंदाज किया गया।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि वित्त मंत्री ने जीडीपी के बारे में बात की, लेकिन उन्होंने प्रति व्यक्ति आय के बारे में नहीं बात की। उन्होंने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देने की बात की, लेकिन उन्होंने ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंक या बच्चों में बड़े पैमाने पर कुपोषण की बात नहीं की। वित्त मंत्री  ने बमुश्किल मुद्रास्फीति का उल्लेख किया, लेकिन उन्होंने इस तथ्य का उल्लेख नहीं किया कि खाद्य मुद्रास्फीति वर्तमान में 7.7 प्रतिशत है। 2024-25 के बजट में स्वास्थ्य के लिए आवंटन 1.8 प्रतिशत और शिक्षा के लिए कुल व्यय का 2.5 प्रतिशत है। इतने कम खर्च में कोई भी दावा पूरा नहीं किया जा सकता।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह सरकार अमीरों की है, अमीरों के लिए है, अमीरों के द्वारा संचालित है और यही इस बजट में दिखा। बजट में गरीब के लिए खोखले वादे हैं और मध्यम वर्ग को तो अनदेखा ही कर दिया है।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि शीर्ष 10 प्रतिशत लोगों के पास देश की 60 प्रतिशत संपत्ति है और वे राष्ट्रीय आय का 57 प्रतिशत अर्जित करते हैं। पिछले 10 वर्षों में आय असमानता काफी बढ़ गई है। इसका कारण मोदी सरकार के 10 साल के शासन में विकास दर कम रहना है। यूपीए के आखिरी साल 2013-14 में जीडीपी विकास दर 6.4 फीसदी और औसत विकास दर 7.5 फीसदी छोड़ी थी। मगर मोदी सरकार में विकास दर छह प्रतिशत से भी कम है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.