सफदरजंग अस्पताल में हुआ पहला रोबोटिक रीनल ट्रांसप्लांट

- बना देश का पहला सरकारी अस्पताल,पांच साल से परेशान था मरीज 

नई दिल्ली। सफदरजंग अस्पताल में पहला रोबोटिक रीनल (किडनी) ट्रांसप्लांट हुआ है। यह देश का पहला सरकारी अस्पताल हैं। ट्रांसप्लांट के बाद मरीज पूरी ‌तरह से स्वस्थ है और जल्द उसे छुट्टी दी जा सकती है। दरअसल करीब तीन माह पहले सफदरजंग अस्पताल में उत्तर प्रदेश के फर्रुकाबाद से 39 साल का मुकेश पहुंचा था। वह पिछले 5 साल से किडनी की समस्या से परेशान था। उसकी समस्या को देखते हुए सफदजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीएल शेरवाल के नेतृत्व में टीम बनाई गई। टीम ने रोबोटिक माध्यम से ट्रांसप्लांट का फैसला लिया। इस टीम में यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर (डॉ) अनूप कुमार, नेफ्रोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ हिमांशु वर्मा, एनेस्थीसिया विभाग से डॉ मधु दयाल व इनके सहयोगी शामिल हुए। इस ट्रांसप्लांट के संबंध में डॉ. शेरवाल का कहना है कि यह देश में एक मील का पत्थर साबित होगा। वहीं डॉ. अनूप ने बताया कि मुकेश लंबे समय से डायलिसिस पर थे। ट्रांसप्लांट की अंतिम विकल्प था। उन्होंने कहा कि रोबोटिक रीनल ट्रांसप्लांट यूरोलॉजी में सबसे तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण सर्जरी है। बता दें कि रोबोटिक माध्यम से ट्रांसप्लांट देश में अभी 4 निजी अस्पताल में किए जा रहे हैं। इसमें करीब 7-8 लाख रुपए का खर्च आता है। सफदजंग अस्पताल में यह सुविधा पूरी तरह से मुफ्त है।

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रोबोटिक बेहतर विकल्प

डॉ. अनूप ने बताया कि मरीज किडनी के साथ मोटापा का भी मरीज था। यदि सामान्य तरीके से ट्रांसप्लांट करते तो 12 सेंटीमीटर का चीरा लगाना पड़ता, जिससे आगे चल कर मरीज को इंफेक्शन होने का खतरा रहता। वहीं दर्द के साथ हर्निया बनने की आशंका रहती। महिलाओं में भी सामान्य तकनीक से समस्याएं आ जाती है। रोबोटिक तकनीक एडवांस हैं जिसकी मदद से इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है।

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पत्नी के डोनेट की किडनी

39 पति मुकेश को उसकी 34 वर्षीय पत्नी रंजना ने किडनी डोनेट की। डॉक्टर ने बताया कि डोनर स्वस्थ है और डॉक्टरों की निगरानी में है। डॉक्टरों की माने तो शुक्रवार को उसे छुट्टी दी जा सकती है।

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