दिल्ली में अटकने लगी बच्चे-बुजुर्गों की सांसें

-हालत खराब होने के बाद एम्स, सफदरजंग, आरएमएल पहुंचते हैं बड़ी संख्या में मरीज

 

नई दिल्ली। दीपावली की पूर्व संध्या पर दिल्ली के अधिकतर इलाकों में प्रदूषण का स्तर गंभीर होने के साथ ही बुजुर्गो, बच्चे और बीमार लोगों की हालत खराब होने लगी है। खासकर पोस्ट कोविड, दमा, सांस व अन्य के मरीजों की दिक्कत बढ़ गई है। डॉक्टरों की माने तो प्रदूषण स्तर खराब होने के बाद सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। ऐसे मरीजों को प्रदूषण वाली जगहों से दूर रहने की जरूरत है, हो सके तो घरों में रहें और बाहर न जाए। उत्तरी दिल्ली स्थित वल्लभ भाई पटेल चेस्ट अस्पताल में पल्मोनरी विभाग के डॉ. राज कुमार ने बताया कि प्रदूषण के कारण दमा, सांस के मरीज, बुजुर्ग व छोटे बच्चों को काफी परेशानी होती है। हर साल अस्पताल में ऐसे काफी मरीज पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि हमें कोशिश करनी चाहिए कि प्रदूषण का स्तर न बढ़े। यदि प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तो मरीजों को ही नहीं बल्कि सभी के लिए दिक्कत बढ़ जाती है। वहीं वरिष्ठ पल्मोनरी डॉ. भरत गोपाल ने कहा कि किसी भी बीमारी के मरीजों को प्रदूषण वाले क्षेत्रों से दूर रहना चाहिए। हो सके घरों में रही रहें। बाहर की अपेक्षा घरों में प्रदूषण का स्तर काफी कम रहता है। उन्होंने कहा कि दिल, सांस, दमा, पोस्ट कोविड के मरीजों के अलावा अन्य किसी भी बीमारी की दवाई खा रहे बुजुर्ग को विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए। इसके अलावा ऐसे सभी मरीज जिनकी इम्यूनिटी कमजोर हैं वह भी इससे बचकर रहें। ऐसे सभी लोगों को बचने के लिए एन 95 मास्क का प्रयोग करना चाहिए। जो दवाईयां चल रही हैं उन्हें न छोड़े। साथ ही अच्छी डाइट लें। खाने में दूध, ताजे फल-सब्जी को शामिल करें। शराब का सेवन करने से बचें।

देर शाम से बिगड़ने लगी हवा

दिवाली के एक दिन पहले से ही दिल्ली में पटाखे जलाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की माने तो रविवार देर शाम आनंद विहार में प्रदूषण का स्तर बढ़कर 373 पर पहुंच गया। वहीं अन्य जगहों पर यह स्तर 250 से 300 के करीब रहा। बोर्ड की माने तो रात के समय यह स्तर और बढ़ सकता है। उम्मीद कर रहे हैं कि दिवाली की रात यह हालत और खराब हो सकते हैं।

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