सौरभ भारद्वाज ने केंद्र सरकार और उपराज्यपाल पर साधा निशाना

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के अस्पताल व मोहल्ला क्लीनिक में खराब गुणवत्ता की दवा को लेकर स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने केंद्र सरकार और उपराज्यपाल पर निशाना साधा है। मंत्री ने कहा कि इस मामले में स्वास्थ्य सचिव को मार्च माह में ऑडिट के आदेश दिए थे, लेकिन अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। यदि समय रहते इसपर काम होता तो काफी पहले ही इस समस्या को रोका जा सकता था। दिल्ली सचिवालय में प्रेस वार्ता के दौरान मंत्री ने कहा कि यह काफी दुखद है कि अस्पताल में जो दवाइयां और अन्य उत्पाद इस्तेमाल हो रहे हैं। उनके कुछ नमूने मानक स्तर के सही नहीं पाए गए। बावजूद इसके उपराज्यपाल वीके सक्सेना संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। 9 मार्च को पदभार संभालते ही स्वास्थ्य सचिव, डीजीएचएस एवं अन्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में स्वास्थ्य सचिव को दवा सहित अन्य सभी जरूरी सामान का ऑडिट करवाने को कहा। लेकिन इस मामले में स्वास्थ्य सचिव एसबी दीपक कुमार ने कोई संज्ञान नहीं लिया। इस मामले में कई बार रिमाइंडर भेजा गया लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

दोषी अधिकारी पर हो कार्रवाई
मंत्री ने कहा कि सरकार तो किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिए ऑडिट करवाना चाहती है। लेकिन अधिकारी ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया। ऐसे में उक्त अधिकारी को जांच चलने तक उस पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। यदि वह पद पर रहता है तो जांच निष्पक्ष नहीं होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और उपराज्यपाल दोषी अधिकारियों को बचाने का प्रयास कर रही है।

रोक रहे थे सरकार का काम
मंत्री ने कहा कि अक्टूबर माह में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के माध्यम से उपराज्यपाल को स्वास्थ्य सचिव एसबी दीपक कुमार और तत्कालीन डीजीएचएस नूतन मुंडेजा के खिलाफ शिकायत भेजी थी। इसमें कहा गया था कि यह दोनों अधिकारी जानबूझकर दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं। इन्होंने सरकार की योजनाओं को रोका। इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए इनको इनके पद से निलंबित किया जाए। कार्यवाही न होने पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा। अब उपराज्यपाल खुद कह रहे हैं कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में दवाइयां की खरीद फरोख्त में गड़बड़ हुई है। दोषी अधिकारी उपराज्यपाल के प्रति जवाबदेह हैं। ऐसे एलजी को दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना चाहिए। उक्त अधिकारी को जांच होने तक उन्हें उनके पद से निलंबित रखा जाए।
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